वो फ़िज़ा आज भी घूम रही है जिससे तुम हो इसका अहसास हुआ है …..
वो बादल आज भी छाए है जिससे प्यार ही प्यार बरस रहा है …...
वो पहाड़ जो हमें मिलाने की साजिश मैं था वो भी सदियों से इंतजार कर रहा है ……
वो पंछी आज भी प्यार का गीत गा के , अपना अधूरा संगीत पूरा करने की कोशिश कर रहे है ……
ये रात तुमसे मिलने की उम्मीद में सोई भी नहीं और दिन उजड़ आया है …..
ये रात , ये पंछी , ये पहाड़ , ये बादल , ये फ़िज़ा सुब सुने सुने लगते है …..तुम्हारे इंतजार मैं....
अधूरा हु मैं, कहानी के साथ , आ जाओ तुम ..कहानी पूरी होना चाहती है …..
तुमसे मिलने की उम्मीद मैं ……
उम्मीदें है तो जहाँ है …...
- अमोल
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